तन्हें से संसार में, तन्हा ही जी लेता हूँ |
रोशनी से शायद डर आज भी हैं ,
इसलिए खुली धुप में भी आजकल,
पर्दें तले छुप जाता हूँ|
आज दीवारें भी मेरी बातों को,
पड़ोसियों से बताएं देती हैं |
तन्हें संसार से भी तन्हा कर दे ,
ऐसे संसार से घबडाता हूँ |
फिर भी ,
दर्द -ए-दिल कही दफ़न ना हो जाये,
बस इसीलिए आईने से बताये देता हूँ |
Saturday, August 01, 2009
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